HOSPITALITY FOR HOPE & INITIATIVE
It's not the ending...it's a new beginning,...ये पंक्ति आज के होटल इंडस्ट्री के लिए बिल्कुल सही बैठती है। इस कोरोना काल ने हर वर्ग को अपनी चपेट में लिया है। समाज के हर तबके ने इसके चोट खाई है। लेकिन धीरे धीरे अब बाज़ार और आदमी दोनों अपनी रफ्तार को बढ़ाने के कोशिश में है। ऐसे में हमारे पहाड़ पर भी अच्छा खासा प्रभाव पड़ा है क्योंकि यहां का आज भी प्रिय कार्यक्षेत्र कृषि और फौज के बाद होटल ही है। सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र में से एक होटल व्यवसाय भी है और किसी भी होटल में सबसे ज्यादा कर्मचारी उत्तराखंड के ही हैं।
उत्तराखंड का पहाड़ी एक बजट होटल से लेकर पांच सितारा होटल क की
kitchen का कर्मठ योद्धा होता था वो ही आज अपने हुनर से हारा हुआ है। आज सब लोग होटल से तो खबरा ही रहे है साथ ही साथ hotelier के नाम से भी किनारा कर रहे हैं। होटल में काम करने वालों को आज फिर हीन दृष्टि से देखा जा रहा है जो की हमारे बीच के आपसी समझ एवम् समानता को चोट पहुंचाता है। इस कॉरोना महामारी ने सबकी अर्थव्यवस्था को तो प्रभावित किया है साथ ही साथ मानसिक बीमार भी कर दिया। हम उत्तराखंडी अपनी मेहनत और हुनर से देश दुनिया में प्रसिद्ध हुए हैं और आगे भी बढ़े हैं। उत्तराखंड के हर
hotelier को अपने हुनर और मेहनत में विश्वास रखना होगा ये वो उद्योग है जो आज थोड़ा धीमा तो हुआ है लेकिन आगे रफ्तार भी जरूर पकड़ेगा। आज भी ऐसे लोग हैं जो होंसला दे रहे है अपनी प्यारे पहाड़ी भाई बंधुओं को कि अभी भी बहुत से लोग होटल एवम् रेस्टोरेंट्स को याद कर रहे हैं और आगे बढाने का काम भी कर रहे हैं। अब होटल जब होटल और रेसटोरेंट्स फिर से एक नई शुरुआत कर रहे हैं ।अब होटल और रेस्टोरेंट पहले से अधिक सुरक्षित हैं, यहां अब साफ और स्वच्छता के पक्के नियम हो गए हैं। किसी भी प्रकार के संक्रमण को रोकने के आधुनिक प्रयास किए जा रहे हैं।
लोगो को विश्वास दिलाया जा रहा है के यहां भी social
distancing से काम किया जा रहा है और ज्यादातर contactless procedure है अपनाया जा रहा है। इसीलिए उत्तराखंडी भाई लोगो को ये समझना पड़ेगा कि ये होटल लिनेया रेस्टोरेंट का अंत नहीं है ये तो एक नई शुरआत .
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