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Showing posts from September, 2020

चमकते चेहरे के पीछे मेहनत का रंग

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चमकते चेहरे के पीछे मेहनत का रंग (There is always a hard work behind every shining face)                                बड़े बड़े और भव्य भवन, जहाँ की हर दीवार कुछ ना कुछ बोलती हो, जिसका कोना-कोना रोशनी से नहाया हुआ हो, उसकी छत को देखो तो मानो पूरा का पूरा तारामंडल एक जगह समेट दिया हो, साफ सुथरा फर्श जहाँ धूल का लेश मात्र भी नाम ना हो, चारों ओर भीनी भीनी महक और बड़े बड़े, आरामदायक सोफा, इधर ही कहीं कड़क और इस्त्री किए हुए कपड़ो में कोई नौजवान युवक या कोई खूबसूरत सी युवती आपको दिखाई देती है जिसके चमकते चेहरे को देख कर ही अनायास आपको खुशी मिलती है। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि ये कहीं और नही बल्कि सितारा होटल है, जहाँ पर कुछ इसी तरीके का माहौल मिलता है।                                अब अगर इसी माहौल को एक बार फिर से ढंग से देखें और कल्पना करें कि इस आरामदायक माहौल में अगर आपको कोई चेहरा ना दिखे तो क्या तब भी यही दृश्य आपको खुशी देगा? मुझे लगता है कि नही। तब ये बड़े और आलीशान भवन कोई चमकदार डरावने बंगले लगेंगे इससे अधिक और कुछ नहीं। इसी के साथ अगर ये भी कल्पना करे कि यही चमकदार और दमकते च

चमकते चेहरे के पीछे मेहनत का रंग

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चमकते चेहरे के पीछे मेहनत का रंग (There is always a hard work behind every shining face)                                बड़े बड़े और भव्य भवन, जहाँ की हर दीवार कुछ ना कुछ बोलती हो, जिसका कोना-कोना रोशनी से नहाया हुआ हो, उसकी छत को देखो तो मानो पूरा का पूरा तारामंडल एक जगह समेट दिया हो, साफ सुथरा फर्श जहाँ धूल का लेश मात्र भी नाम ना हो, चारों ओर भीनी भीनी महक और बड़े बड़े, आरामदायक सोफा, इधर ही कहीं कड़क और इस्त्री किए हुए कपड़ो में कोई नौजवान युवक या कोई खूबसूरत सी युवती आपको दिखाई देती है जिसके चमकते चेहरे को देख कर ही अनायास आपको खुशी मिलती है। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि ये कहीं और नही बल्कि सितारा होटल है, जहाँ पर कुछ इसी तरीके का माहौल मिलता है।                                अब अगर इसी माहौल को एक बार फिर से ढंग से देखें और कल्पना करें कि इस आरामदायक माहौल में अगर आपको कोई चेहरा ना दिखे तो क्या तब भी यही दृश्य आपको खुशी देगा? मुझे लगता है कि नही। तब ये बड़े और आलीशान भवन कोई चमकदार डरावने बंगले लगेंगे इससे अधिक और कुछ नहीं। इसी के साथ अगर ये भी कल्पना करे कि यही चमकदार और दमकते च

देहरादून वालों का मोमो प्रेम .....

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देहरादून वालों का मोमो प्रेम ,,,,,           खुशगवार मौसम , बड़े - बड़े नामी स्कूल , रसभरी लीची , खुशबूदार बासमती चावल , देसी चाय और ताजा रस इन सब नामों से तो आपको पता चल ही गया होगा की हम देहरादून शहर की बात कर रहे हैं , लेकिन एक और चीज़ है जो यहाँ लोकप्रिय हो रही है और वो है ' मोमोज।         मोमोज का नाम आते ही क्या आपके मुँह मे भी पानी आ जाता है ? गरमा - गरम भाप में तैयार , एक महीन झिल्लिनुमा छोटी रोटी , उसके अंदर सब्जी या गोश्त की भरावन , साथ में तीखी अदरक लहसून और सूखी लाल मिर्च की चटाकेदार चटनी , कुछ प्याज के छल्ले और कभी कभी धुँआ उड़ाता सूप भी ,,, वाह ! सिर्फ इतना ही और कुछ नही। लो आ गया न मुँह में पानी।         वैसे तो आपको ये अच्छे से पता है कि मोमो देहरादून का क्षेत्रिय पकवान नहीं है , ये तो तिब्बत और नेपाल की देन है।फिर भी मोमो का प्रचलन यहाँ तिब्बत या नेपाल से कम भी नही है।        थोड़ा बहुत जितना ज्ञान है उसमे यही है क